आओ झुककर सलाम करें उन्हें, जिनकी जिन्दगी से ये मुकाम आया है,
किस कदर खुशनसीब हैं वो लोग, जिनका लहू देश के काम आया है ।
आज आजादी के पर्व पर हम सबको गम्भीरता के साथ यह चिन्तन करना चाहिए कि हमारा सोच, हमारे कार्य और जीवन देश को स्वस्थ, सम्पन्न और खुशहाल बनाने के लिए अर्पण हो रहा है या हम देश को अवनति की ओर ले जा रहे हैं । हम देश को अपना लहू पिला रहे हैं या देश का लहू पी रहे हैं । हम अपने कार्यों से देश को सींच रहे हैं या देश का लहू खींच रहे हैं । कहीं ऐसा तो नही कि हम अपने सोच और कार्यों से देश को दीमक और जोंक की तरह अन्दर ही अन्दर खोखला कर रहे हों । हम आने वाली पीढ़ी के लिए कैसा वातावरण और आदर्श छोडकर जा रहे हैं, क्या वो हमारे सोच और कार्यों पर गर्व करेगी । आज इस पर गम्मीरता से विचार करने की ज़रुरत है ।
ज़िन्दगी की असली उडान अभी बाकी है, ज़िन्दगी के कई इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने, अभी तो सारा आसमान बाकी है ।
जय हिन्द
No comments:
Post a Comment