Sunday, May 16, 2010

परमाणु बम से भी खतरनाक बम का विस्फोट हो चुका है!

दो चेतावनी वाले महत्वपूर्ण समाचार

01- सावधान ! मोबाइल की एक काँल तोड़ सकती है परिवार---- दिनांक: 23/04/2010 को हिन्दुस्तान में प्रकाशित एक समाचार कि महिला की आवाज़ में आई फोन कांल से कई परिवार टूटने के कग़ार पर जिसका सार यह है कि कुछ शैतानी तत्वों ने काँल चीटर एप्लीकेशन का प्रयोग कर कई परिवारों में कलह पैदा कर दी ।

02- चाइल्ड पोर्नोग्राफी में ले, कर्नल गिरफ्तार-----दिनांक 08/05/2010 को हिन्दुस्तान में प्रकाशित समाचार ।

परमाणु बम से भी खतरनाक बम का विस्फोट हो चुका है!

जी हाँ परमाणु बम से भी अधिक खतरनाक बम का विस्फोट हो चुका है और जिसने पुरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है । और ये बम है टेलीवीजन/इण्टरनेट और मोबाइल । इसके वायरस का नाम है संचार वाय्रस । इसके वायरस धीरे-धीरे सम्पूर्ण मानव जाति को सुक्ष्म रुप से अपनी चपेट में ले रहे हैं। दुनिया को इसके चंगुल से निकाल पाना अब लगभग असंभव है। इसके वायरस के चपेट में आते ही मनुष्य की गतिशीलता कम हो जाती है । इसके वायरस सीधे मानव के मस्तिस्ष्क पर हमला कर उसके सोचने-समझने की शकित को असंतुलित करते हैं । जिससे मानव में विवेक/सहनशीलता और उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है । इसके वायरस मानव की सहनशीलता को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाते हैं। जिससे उनमें आत्मह्त्या, दूसरों को नुकसान पहुँचाने की प्रवऋत्ति और दुसरो पर हिंसा करने की प्रवऋत्ति उभरती हैं । मानव में नकारात्मक प्रवऋत्ति को बटाते है, उनकी रचनात्मक शकित को नष्ट करते हैं ।

इसके वायरस मानव में वंशानुगत प्रभाव डालते हैं अर्थात इसका दुष्प्रभाव मानव की संतान पर उससे ज्यादा पड़ता है । इसका कारण यह है कि टेलीवीजन/इण्टरनेट मोबाइल जरुरत से ज्यादा जानकारी मानव के मस्तिष्क पर प्रवेश कराते हैं । और अधिक/अनावशयक जानकारी होना मानव मस्तिष्क के लिए बहुत ही खतरनाक होता है । इसके वायरस सुक्ष्म रुप से स्वत: ही अगले वंश में चले जाते हैं ।

जिस तरह परमाणु की जानकारी समाज के लिए बहुत ही सीमित रुप में लाभकारी है और उसके ज्ञान पर नियन्त्रण की आवशयकता है । उसी तरह टेलीवीजन/इण्टर्नेट और मोबाइल समाज के लिए बहुत ही लाभकारी है अगर उसको कठोर और नियन्त्रित तरीके से समाज को उपलब्ध कराया जाये । इस पर कडी निगरानी की आवशयकता होती है ।

परन्तु आज दुनिया की सभी सरकारों का मुख्य उद्देश्य है कि टेलीवीजन/इण्टर्नेट/मोबाइल की सेवा को सस्ती से सस्ती दरों पर प्रत्येक व्यक्ति को चौबीस घण्टे उपलब्ध कराना ।

आज टेलीवीजन के हजारों चैनल हैं, इण्टर्नेट की लाखों साइटें हैं क्या यह सब मानव के लिए आवशयक हैं। अगर अनावशयक चैनल और साइटों को नियन्त्रित कर बन्द कर दिया जाये और केवल उपयोगी चैनल/साइट ही समाज को उपलब्ध कराई जाये तो ये समाज के लिए लाभकारी होगा । समाज के हर व्यकित(निम्न आय वर्ग के लोगों) के हाथ में मोबाइल देने की अपेक्षा केवल जरुरतमन्द लोगों को ही मोबाइल उपलब्ध कराना समाज के लिए हितकारी होगा । मोबाइल को इतना सस्ता करना केवल निम्न आय वर्ग(जिनको मोबाइल की आवशयकता नही) के धन को पूँजीपतियों के हाथों में पहुँचाना है ।

आज दुनिया की सभी सरकारों की संचार निति को देखकर यही लगता है कि संचार वायरस के दुष्प्रभाव से दुनिया को बचाना असम्भव है ।

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