27 अप्रैल को पूरे विपक्ष ने महंगाई विरोध दिवस मनाया । पूरे देश में जोरदार धरना-प्रदर्शन किया । उत्तर प्रदेश मेंतीन बसों में आग लगा दी गई । संसद में खूब जोरदार बहस हुई । विपक्ष के बडे-बडे नेताओं ने महँगाई पर सरकारकी नितियों की जमकर आलोचना की । फिर कटौती प्रस्ताव आया और सारा विपक्ष बिखर गया । कुछ विपक्षीदलों ने बहिष्कार कर दिया । विपक्ष के दल एकमत नहीं हो पाये । जनता की रोज़ की जिन्दगी से जुडे इतनेमहत्वपूर्ण और वास्तविक मुद्दे पर पूरा संसद एकमत नही हो पाया ।
इसके विपरीत अभी कुछ माह पूर्व सांसदों के वेतन भत्ते और सूविधाओं को बढाने वाला बिल आया तो सदन में कोईहंगामा या वाँयकाट नही हुआ । कांग्रेस, सादगी पसंद त्रणमूल कांग्रेस, भाजपा, वामदल, सपा एवं बसपा सभी नेएकमत होकर कुछ मिनटों में ही बिल पास कर दिया । तब विपक्ष और सत्ता पक्ष को भाजपा जैसी पार्टी के साथ सुरमिलाने और मतदान करने में कोई दोष नज़र नही आया ।
वेतन-भत्ते और सुविधाओं को बढाने वाले बिल पर सभी सांसद एक हो जाते हैं और महँगाई जैसे जनहित के मुद्देपर बिखर जाते हैं ।
ऐसा? क्यों
ये पक्ष और विपक्ष सिर्फ कहने को हैं /भ्रष्टाचार में ये दोनों एक सामान हैं और जनहित से इनका कोई वास्ता नहीं है /ये लोग मिलकर सरकारी खजाने को लूटकर, आम जनता को भूखे मरने को मजबूर कर रहें हैं / अब तो एक ही रास्ता बचा है ,आम जनता एकजुट हो और इन सबको एक एक कर गद्दी से उतारकर सजा दे /ये काम मुश्किल है पर ना मुमकिन नहीं /
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