अखबार में छपी एक खबर
लखनऊ में एक वैवाहिक समारोह में शामिल होने आये गाजियाबाद के दम्पत्त्ति ने हजरतगंज के बाज़ार में खरीदारी की । जब वह टेम्पो से गोमती नगर स्थित होटल त्ताज़ लोट रहे थे तो उनका पर्स टेम्पो में ही छूट गया । लेकिन ईमानदार चालक मिठाई लाल ने पर्स में रखे करीब पाँच लाख रुपये के ज़ेवरात और पैंतालिस ह्ज़ार रुपये की नकदी उन्हें सौंप दी । दम्पत्ति ने चालक को पाँच सौ रुपये इनाम दिया ।
उपरोक्त घटना समाज के दो आर्थिक वर्गो से जुड़ी हुई है । एक है समाज का उच्च आय वर्ग जो फाइव स्टार होटलों में ठहरता है, जहॉ एक रात रुकने का खर्च ही हज़ारों रुपये है । ऐसे होटलों में रुकने का मतलब है कि वो पैसों से ज्यादा अपने ऐशो आराम को महत्व देता है । और दूसरा है समाज का अति साधारण वर्ग जिसे दिन भर में तीन-चार सौ रुपये कमाने के लिए सुबह से शाम तक घण्टों टेम्पो चलानी पडती है तब कहीं जाकर वो मुश्किल से अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा कर पाता है ।
इस घटना में समाज के दोनों आर्थिक वर्गों का सम्पूर्ण तो नहीं लेकिन अधिसख्य लोगों के चरित्र का दर्शऩ होता है । फाइव स्टार होटलों में रुकने वाला उच्च आय वर्ग पाँच लाख पैंतालीस हज़ार के ज़ेवर/नकदी वापस मिलने पर बेहद खुश होने पर मात्र पाँच सौ रुपये टेम्पो चालक को इनाम देकर अपने को गोरांवित महसूस करता है। उसकी ईमानदारी उच्च आय वर्ग की नज़र में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नही है, लेकिन यही वर्ग व्यवसाय आदि में साढे पाँच लाख रुपये के लाभ के लिए पाँच-दस परसेन्ट कमीशन(रिश्वत/बेईमानी) देने के लिये सहर्ष तैय्यार हो जाता है।
वहीं दूसरी तरफ अति साधारण आय वर्ग का(टेम्पो चलाने वाला) लाखों रुपये के ज़ेवरात/नकदी मिलने पर भी अपने ईमान को डिगने नही देता । और वो कीमती वस्तुओ को अपने ईमान की खातिर सहर्ष उसके मालिक को सौंप देता है ।
समाज के उत्थान के लिए बहुत जरुरी है कि हम समाज में व्यक्तियों की अच्छाईयों को उचित सम्मान और पुरस्कृत करना सीखें । तभी समाज का वातावरण खुशनुमा होगा ।
समाज के अमीर लोगो से यही विनती है कि वो समाज के ईमानदार और मेहनतकश लोगों को उचित मेहनताना/सम्मान प्रदान करें ।
जगदीश चन्द्र पन्त,
लखनऊ ।
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