Thursday, March 25, 2010

प्लीज मदद करें ।

एक सवाल ?

मांस(मीट)/मछ्ली खाने वाले जब पशु/पक्षी के प्रति दया एवं प्रेम की और उनके संरक्षण की बातें करते हैं और स्वयं को उनका संरक्षक कहते हैं तो क्या यह सही है ? क्या उनका पशु प्रेम वास्तविक है ?

उपर्युक्त सवाल पर मैं बहुत दिनों से चिन्तन कर रहा हुं पर अपने आसपास के वातावरण को देखकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पा रहा हुं । प्लीज मेरा मार्गदर्शन करें ।

जगदीश चन्द्र पन्त,

लखनऊ

1 comment:

  1. ईश्वर ही प्राण देता है, ईश्वर ही आपका रक्षण करता है, ईश्वर ही आपके प्राण हरता है!!

    सब ईकोलॉजिकल बैलेंस की प्रक्रिया है.


    आशा है मैं समझा पाया.

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